फोटोग्राफ़ में The Photograph

फोटोग्राफ़ में

दोनों ओर जंगल बीच रास्ता रोशनी और दिशा के साथ
दोनों ओर जंगल कहकहाता बीच रास्ता शांत
दोनों ओर जंगल चीख़ता बीच रास्ता विरक्त
दोनों ओर जंगल सपनों में डूबा बीच रास्ता यह विमुक्त किसी नींद से
हिलता यह दृश्य आँखों में जैसे पानी की सतह पर कोई प्रतिबिम्ब,
चौंकता चेहरा झुका हुआ उस पर
बंद गीली आँखों में
डबडबाती एक दुनिया,
दिशासूचक की तरह ले जाता
तुम्हारे भीतर प्रेम किसी अनजाने रास्ते पर तुम्हें
और सच कर देता है मुक्त,
खोल दो अपनी बंद हथेलियों को
हवा नहीं छुप सकती उनमें
रोशनी भी नहीं
वे ख़ुद को ही क़ैद किए हुए हैं इस जेल में,
देखना चाहता हूँ तुम्हारा चेहरा
किसी अकस्मात से पहले
 
(धूप के अँधेरे में, 2008)
 

Original Poem by

Mohan Rana

Translated by

Lucy Rosenstein with Bernard O’Donoghue Language

Hindi

Country

India